इच्छा
बचपन में सुना था
किसी चीज़ की
शिद्दत से चाह करो
तो वो पूरी होती है
पर मेरी इच्छाएँ
पानी के बुलबुले हैं
अगरबत्ती का गोल घूमता
खुशबूदार धुआँ हैं
एक हल्की-सी फूँक
और विलीन हो जाता है
अच्छा है,
वो एक रूठा शैतान
बच्चा नहीं
जिसे मनाना मुश्किल हो
१६ मई २००५ |