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अनुभूति में प्रदीप मिश्र की रचनाएँ

कविताओं में-
तुम नहीं हो शहर में
कनुप्रिया
ज़िन्दा रहने के लिये
दुख जब पिघलता है
पहाड़ी नदी की तरह
पायदान पर
फिर कभी
फिर तान कर सोएगा
फूलों को इंतज़ार है
महानगर
मेरे समय का फलसफा
मैं और तुम
वायरस

स्कूटर चलाती हुई लड़कियाँ
सफेद कबूतर

डूबते हुए हरसूद पर-
एक दिन
जब भी कोई जाता
पाकिस्तान से विस्थापित
फैली थी महामारी
बढ़ रहा है नदी में पानी
सुनसान सड़क पर

संकलन में
नया साल- यह सुबह तुम्हारी है

  कनुप्रिया

एक अदना सा मन
ढुलक कर ठहर गया है
तुम्हारी ओट में

तुम्हारी नज़रें टहलने लगीं हैं
रसोई से बैठक तक
बैठक से अटारी तक
ओट/झरोखे खोजती हुईं

सपने पसर गए हैं
अन्तरिक्ष से अन्तस तक

पलकें सीखती जा रही हैं
दिन-प्रतिदिन अदब

एक चाहा क्षण देखने के लिए
तुम्हारा घंटों अनचाहा देखना
मुझे आतंकित करता है कनुप्रिया!

कहीं ठहरा हुआ अदना
सुगबुगाने तो नहीं लगा है
तुम्हारी ममतामई छाँव में।

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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