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प्रदीप मिश्र

जन्म- १ मार्च १९७०
शिक्षा- स्नातकोक्ततर हिन्दी एवं शोधरत।
सृजन यात्रा : १९९५ में "फिर कभी" कविता संग्रह म.प्र. साहित्य अकादेमी के चयन एवं सहयोग से प्रकाशित। २००१ में 'अंतरिक्ष नगर' वैज्ञानिक उपन्यास, आधार प्रकाशन से प्रकाशित।

'साधो देखो जग बौराना' वृत्त चित्र पटकथा। 'तीली पर बारूद' तथा 'ये सड़क दिल्ली जाती है' नाटक। पहल, आजकल, कथादेश, साक्षात्कार, पलप्रतिपल, वातायन, दस्तावेज, नयापथ, प्रखर, अक्षरा, उत्तरार्ध एवं विभिन्न विशेषांकों में रचनाएँ प्रकाशित।

अखबारों में पत्रकारिता एवं संम्पादन का कार्य। "भोर सृजन संवाद" नाम से साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन एवं प्रकाशन, कवि मित्र अरुण आदित्य के साथ। रेडियो, दूरदर्शन, म.प्र.साहित्य अकादेमी, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, जनवादी लेखक संघ तथा प्रगतिशील लेखक संघ के साहित्यिक आयोजनो में सहभागिता।

श्याम व्यास सम्मान- २००२ से सम्मानित।

सम्प्रति : प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द, इन्दौर में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्यरत।

ई-मेल:
mishra508@yahoo.co.in

  अनुभूति में प्रदीप मिश्र की रचनाएँ

कविताओं में-
तुम नहीं हो शहर में
कनुप्रिया
ज़िन्दा रहने के लिये
दुख जब पिघलता है
पहाड़ी नदी की तरह
पायदान पर
फिर कभी
फिर तान कर सोएगा
फूलों को इंतज़ार है
महानगर
मेरे समय का फलसफा
मैं और तुम
वायरस

स्कूटर चलाती हुई लड़कियाँ
सफेद कबूतर

डूबते हुए हरसूद पर-
एक दिन
जब भी कोई जाता
पाकिस्तान से विस्थापित
फैली थी महामारी
बढ़ रहा है नदी में पानी
सुनसान सड़क पर

संकलन में
या साल- यह सुबह तुम्हारी है

 

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