अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में प्राण शर्मा की रचनाएँ

नई रचनाएँ—
अपनी कथा
कुछ ऐसा प्यारा सा जादू
खुशी अपनी करे साझी
नफरत का भूत

गीतों में-
गीत

अंजुमन में—
आदतें उसकी
उड़ते हैं हज़ारों आकाश में
क्यों न महके
कर के अहसान
कितनी हैरानी
गुनगुनी सी धूप
घर पहुँचने का रास्ता

चेहरों पर हों
छिटकती है चाँदनी
ज़ुल्मों का मारा भी है
तितलिया
तुमसे दिल में
धूम मचाते
नाम उसका
नित नई नाराज़गी
पंछी

बेवजह ही यातना
मन किसी का दर्द से
मुझसे मेरे जनाब
मुँडेरों पर बैठे कौओं
सुराही
हम कहाँ उनको याद आते है
हर एक को
हर किसी के घर का

संकलन में- प्यारी प्यारी होली में

 

ज़ुल्मों का मारा भी है

ज़ुल्मों का मारा भी है, मालूम न था
इन्सां हत्यारा भी है, मालूम न था

उजियाला ही उजियाला समझे थे हम
मन में अंधियारा भी है, मालूम न था

रीति -रिवाजों के बंधन ही बंधन हैं
ये दुनिया कारा भी है, मालूम न था

ले जाए उस छोर कभी इस छोर कभी
किस्मत वो धारा भी है, मालूम न था

पाँव जला डाले हमने अनजाने में
राख में अंगारा भी है, मालूम न था

संग तुम्हारा मीठा है, ये सोचा था
ये पानी खारा भी है, मालूम न था

द्वेष-घृणा की दुनिया में ए " प्राण" सखे
तुझ जैसा प्यारा भी है, मालूम न था 

३१ मई २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter