अनुभूति में
प्राण शर्मा की रचनाएँ—
नई रचनाएँ—
अपनी कथा
कुछ ऐसा प्यारा सा जादू
खुशी अपनी करे साझी
नफरत का भूत
गीतों में-
गीत अंजुमन में—
आदतें उसकी
उड़ते हैं हज़ारों आकाश में
क्यों न महके
कर के अहसान
कितनी हैरानी
गुनगुनी सी धूप
घर पहुँचने का रास्ता
चेहरों पर हों
छिटकती है चाँदनी
ज़ुल्मों का मारा भी है
तितलियाँ
तुमसे दिल में
धूम मचाते
नाम उसका
नित नई नाराज़गी
पंछी
बेवजह ही यातना
मन किसी का दर्द से
मुझसे मेरे जनाब
मुँडेरों पर बैठे कौओं
सुराही
हम कहाँ उनको याद आते हैं
हर एक को
हर किसी के घर का संकलन में-
प्यारी
प्यारी होली में |
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तुमसे दिल में तुमसे दिल
में रोशनी है
ए खुशी, तू शमा सी है
आपकी संगत है प्यारी
गोया गुड़ की चाशनी है
बारिशों की नेमतें हैं
सुखी नदिया भी बही है
मिट्टी के घर हों सलामत
कब से बारिश हो रही है
नाज़ क्योंकर हो किसी को
कुछ न कुछ सबमें कमी है
कौन अब ढूँढें किसी को
गुमशुदा हर आदमी है
बाँट दे खुशियाँ खुदाया
तुझको कोई क्या कमी है
३१ मई २०१० |