मुझसे मेरे
जनाब
मुझसे मेरे जनाब माँग नहीं
पीठ करके जवाब माँग नहीं
मुझसे मेरा हिसाब माँग मगर
दूसरों का हिसाब माँग नहीं
यूँ तो लौटा दूँ मैं तुझे लेकिन
दे के मन का गुलाब माँग नहीं
माना, खुद्दार है तू ए साहिब
चीज़ बनकर नवाब माँग नहीं
माँग हर चीज़ चाहे 'प्राण' मगर
मुझसे तू अपना ख्वाब माँग नहीं
९ नवंबर २००९
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