हर एक को
हर एक को कुटुंब में अपने सा
ढालना
कितना कठिन है दोस्तों घर को संभालना
आनंद की फुहार है चंदन की गंध
है
जादू जगाता माँओं की बाहों का पालना
वो माँगता है एक खिलौना ही तो
जनाब
सोचें कि क्या ये ठीक है बच्चे को टालना
जिसको उजाड़ कर गए बच्चे शरारती
होता न काश वो किसी चिड़िया का आलना
खुल कर निकाल लीजिए दिल की
भड़ास को
आसान है ज़माने पे कीचड़ उछालना
ए 'प्राण' रास आई है किस मन को
दुश्मनी
ये तो गली है संकरी खुद को निकालना
२४ सितंबर २००३
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