अनुभूति में
प्राण शर्मा की रचनाएँ—
नई रचनाएँ—
अपनी कथा
कुछ ऐसा प्यारा सा जादू
खुशी अपनी करे साझी
नफरत का भूत
गीतों में-
गीत अंजुमन में—
आदतें उसकी
उड़ते हैं हज़ारों आकाश में
क्यों न महके
कर के अहसान
कितनी हैरानी
गुनगुनी सी धूप
घर पहुँचने का रास्ता
चेहरों पर हों
छिटकती है चाँदनी
ज़ुल्मों का मारा भी है
तितलियाँ
तुमसे दिल में
धूम मचाते
नाम उसका
नित नई नाराज़गी
पंछी
बेवजह ही यातना
मन किसी का दर्द से
मुझसे मेरे जनाब
मुँडेरों पर बैठे कौओं
सुराही
हम कहाँ उनको याद आते हैं
हर एक को
हर किसी के घर का संकलन में-
प्यारी
प्यारी होली में |
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कुछ ऐसा प्यारा सा जादू
कुछ ऐसा प्यारा सा जादू जगाती है
ग़ज़ल प्यारे
सभी को अपना दीवाना बनाती है ग़ज़ल प्यारे
ज़रा तासीर उसकी देखिए गुलकंद के जैसी
ह्रदय को ताज़ा से ताज़ा बनाती है ग़ज़ल प्यारे
मुहब्बत ही मुहब्बत का सदा सन्देश है उसका
दिलों में नफरतें सबके मिटाती है ग़ज़ल प्यारे
कभी उसकी कभी इसकी कभी तेरी कभी मेरी
बड़े ही प्यार से बातें सुनाती है ग़ज़ल प्यारे
नए अंदाज़ से कहना सभी शेरों को तू अपने
कि ऊँचाई पे शायर को ले जाती है ग़ज़ल प्यारे
सुना करिए हमेशा ही सवेरे उठके आप उसको
रगों में खून अमृत सा बहाती है ग़ज़ल प्यारे
बहुत ही खूबियाँ होती हैं उसके प्यारे शेरों में
कि सुननेवालों का यश खूब पाती है ग़ज़ल प्यारे
२६ मार्च २०१२ |