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सोना चाँदी जड़ी
फुलझड़ी |
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सोना चाँदी जड़ी फुलझड़ी
सबको प्यारी बड़ी
फुलझड़ी
1
दुबली पतली उसकी काया
ठाठ-बाट से जग भरमाया
हर उत्सव की आनी बानी
हार कभी नहिं उसने मानी
1
गहरा बहुत अँधेरा था पर
अँधियारे से लड़ी
फुलझड़ी
1
कभी घूमती बच्चों के संग
कभी बड़ों का साथ निभाती
अगर-मगर से दूर, सभी को
जगर-मगर का मंत्र सुनाती
1
रंग बिखेरे खुशियाँ घेरे
अँगनारे में खड़ी
फुलझड़ी
1
उसका हँसना सबको भाया
उसने बड़का जीवट पाया
सबके संग हिलमिल कर बाँटी
उसने उजियारे की माया
11
खुशियों का आगार थी फिर भी
झट से क्यों बुझ गयी
फुलझड़ी
1
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पूर्णिमा वर्मन |
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इस माह
दीपावली के अवसर
पर
फुलझड़ी
विशेषांक के अंतर्गत
गीतों में-
अंजुमन मे-
दोहों में-
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