अनुभूति में
प्रो. 'आदेश' हरिशंकर
की रचनाएँ-
गीतों में-
आया मधुमास
अमल भक्ति दो माता
एक दीप
चन्दन वन
जीवन और भावना
धरती कहे पुकार के
नया उजाला देगी हिन्दी
रश्मि जगी
लौट चलो घर
वन में दीपावली
विहान हुआ
सरस्वती वंदना
कविताएँ-
जीवन
प्रश्न
मृत्यु
संपूर्ण
संकलन में-
ज्योतिपर्व - दीपक जलता
- मधुर दीपक
- मत हो हताश
मेरा भारत - मातृभूमि जय हे
जग का मेला -चंदामामा रे
नया साल -शुभ
हो नूतन वर्ष
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संपूर्ण
मैं जानता हूँ कि तुम
मुझे प्यार नहीं दे सकोगे,
तो घृणा ही दे दो।
मैं जानता हूँ कि तुम
मुझे सुख नहीं दे सकोगे,
तो पीड़ा ही दे दो।
किन्तु, जो कुछ भी दो,
दो संपूर्ण।
मैं नहीं चाहता कि तुम
उसका एक अंश भी
अपने पास रखो।
सारी घृणा,
सारी पीड़ा,
मुझे दे दो।
ताकि संसार के
हर प्राणी को देने के लिए
तुम्हारे पास
प्यार के अतिरिक्त और कुछ न रहे।।
(कविता का अर्द्ध कुंभ: जीवन की अर्द्ध शती काव्य
संग्रह से)
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