प्रश्न
जब कि पशु का शिशु
सदा ही पशु कहाता,
और,
जब सन्तान मानव की
कहाती है मनुज ही।
वनस्पतियों की उपज है
वनस्पति ही तो कहाती
इस जगत में।
क्यों न फिर
भगवान की सन्तान भी
भगवान कहलाती भुवन में।
और, की जाती उपासित है
सदा भगवान-सी ही?
जब कि हर प्राणी यहाँ
भगवान की सन्तान,
फिर गुण क्यों नहीं
उसमें पिता के?
और,
यह शैतान है उपजा कहाँ से?
पुत्र है शैतान यदि भगवान का ही,
अर्थ है इसका कि फिर
भगवान तो
शैतान का भी बाप है।
शायद इसी से
मिट नहीं पाया अभी तक
विश्व का संताप है।।
(निष्क्रमण काव्य संग्रह से)
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