अनुभूति में
प्रो. 'आदेश' हरिशंकर
की रचनाएँ-
गीतों में-
आया मधुमास
अमल भक्ति दो माता
एक दीप
चन्दन वन
जीवन और भावना
धरती कहे पुकार के
नया उजाला देगी हिन्दी
रश्मि जगी
लौट चलो घर
वन में दीपावली
विहान हुआ
सरस्वती वंदना
कविताएँ-
जीवन
प्रश्न
मृत्यु
संपूर्ण
संकलन में-
ज्योतिपर्व - दीपक जलता
- मधुर दीपक
- मत हो हताश
मेरा भारत - मातृभूमि जय हे
जग का मेला -चंदामामा रे
नया साल -शुभ
हो नूतन वर्ष
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जीवन
जीवन
संसार-सिंधु के
विशाल वक्ष पार
उगने वाले
उस ज्वार का नाम है,
जो सदैव
असंभव,
अप्राप्य तथा अव्यक्त को
प्राप्त करने की
कामना का वेग लेकर,
उछलता है
कूदता है,
दाहड़ता है।
और, अंत में?
भाटा बनकर
सो जाता है,
लय हो जाता है,
अनन्त की ही गोद में।।
(लहरों के संगीत काव्य संग्रह से)
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