अनुभूति में
प्रो. 'आदेश' हरिशंकर
की रचनाएँ-
गीतों में-
आया मधुमास
अमल भक्ति दो माता
एक दीप
चन्दन वन
जीवन और भावना
धरती कहे पुकार के
नया उजाला देगी हिन्दी
रश्मि जगी
लौट चलो घर
वन में दीपावली
विहान हुआ
सरस्वती वंदना
कविताएँ-
जीवन
प्रश्न
मृत्यु
संपूर्ण
संकलन में-
ज्योतिपर्व - दीपक जलता
- मधुर दीपक
- मत हो हताश
मेरा भारत - मातृभूमि जय हे
जग का मेला -चंदामामा रे
नया साल -शुभ
हो नूतन वर्ष
|
|
नया उजाला देगी हिन्दी
तम-जाला हर लेगी हिन्दी, नया उजाला देगी हिन्दी।
विश्व-ग्राम में सबल सूत्र बन, सौख्य निराला देगी हिन्दी।
द्वीप-द्वीप हर महाद्वीप में, हम हिन्दी के दीप जलाएँ।
जीवन को सक्षम कर देगी, वर्तमान मधुरिम कर देगी।
एक सुखद अतीत दे हमको, भविष्य भी स्वर्णिम कर देगी।
नगर-नगर घर ग्राम-ग्राम में, हम हिन्दी का अलख जगाएँ।।
हीरक दें, मौक्तिक कंचन दें, शिक्षा दे सुखमय जीवन
दें।
किन्तु, प्रथम कर्तव्य हमारा, संतति को संस्कृति का धन दें।
करें नहीं मिथ्या समझौता, सच्चे भारतीय कहलाएँ।।
वैमनस्य का भूत भगाएँ, ईर्ष्या-द्वेष अपूत मिटाएँ।
नैतिक मूल्यों की रक्षा कर, सच्चे संस्कृति-दूत कहायें।
आज देहरी पर हर उर की, पावन प्रेम-प्रदीप सजाएँ।।
जहाँ रहें, वह देश हमारा, उसका हित उद्देश्य
हमारा।
किन्तु मूल से जुड़े रहें हम, बहे अनवरत जीवन-धारा।
सच्चे श्रेष्ठ नागरिक बनकर, हम दोहरा दायित्व निभाएँ।।
दूर रहे हर दु:ख की छाया, बन्धु! निरोगी हो हर
काया।
सदन-सदन नित आलोकित हो, हृदय-अयन में प्यार समाया।
ले सर्वात्मभाव अंतर में, पहले मन का तिमिर मिटाएँ।।
|