अनुभूति में
रेखा राजवंशी की रचनाएँ —
नई रचनाओं में-
अपनों की याद
दर्द के पैबंद
पिता
माँ दो कविताएँ
वक्त के पैबंद
छंदमुक्त में—
कंगारुओं के देश से
जिंदगी छलने लगी
ढूँढ रही हूँ चंदन
दोस्ती
पिघलता अस्तित्व
बचपन के दिन
बदलाव
भाई को चिट्ठी
विदेश में भारत
सफर एक औरत का
संदूक
छोटी कविताओं
में—
संगति
कैक्टस
रोको मत
लक्ष्मी
ष्मी
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ढूँढ रही हूँ चंदन
दूर देश में
नए वेश में
पार समंदर
इस विदेश में
ढूँढ रही
अपनापन साथी
बहुत भीड़ है
नया नीड़ है
काम बहुत से
शक्ति क्षीण है
ढूँढ रही
संजीवन साथी
कठिन घड़ी है
धूप कडी है
रात अँधेरी
और बड़ी है
ढूँढ रही हूँ
चंदन साथी
१ मई २००६
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