तुम साथ चलो
तुम साथ चलो! तुम साथ चलो!
जब चारों तरफ़ अंधेरा हो
हालात को ग़म ने घेरा हो
जब एक अकेले-से दिल में
तनहाई का ही डेरा हो
तुम साथ चलो!
जब यादों को मैं याद करूँ
जब रब से मैं फरियाद करूँ
शफ्फ़ाक धुले इस अंबर से
कोई बस्ती आबाद करूँ -
तुम साथ चलो!
जब मेरा मन मेरा आँगन
फिर अपने मन पर क्या बंधन
ये मेरी कलाई के कंगन
जब तुम्हें पुकारें कल साजन -
तुम साथ चलो!
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