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अनुभूति में कृष्ण बिहारी की रचनाएँ -

गीतों में—
आवारा मन
कितने तूफ़ानों से
कुछ न कहूँगा
गीत गुनगुनाने दो
तुम आए तो
तुम साथ चलो
दिल हँसते हँसते रोता है
दूर न जाते
देवता मैं बन न पाया
प्रीत- नौ चरण
राह जिस पर मैं चलूँ
रुपहले गीत का जादू
वही कहानी
साथ तुम्हारे
स्मृति

संकलन में—
ज्योतिपर्व   –  चाँदनी की चूनर ज़मीं पर है
          –  मत समझो पाती
जग का मेला – झरना

 

कुछ न कहूँगा

चाहे यह ज़िंदगी खंगालो
या तुम इसकी रूह निकालो
ठंडी आहें नहीं भरूँगा मैं सब कुछ चुपचाप सहूँगा
अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा

मैंने कभी विरोध न माना
हर अनुरोध तुम्हारा माना
मान तुम्हारा रख पाऊँ यह कोशिश मैं दिन-रात करूँगा
अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा

दुख से मेरा वैर नहीं है
कोई रिश्ता ग़ैर नहीं है
यदि वह मेरा साथ निभाए तो मैं उसके साथ रहूँगा
अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा

बहुत मौत से डरते होंगे
वे जीते-जी मरते होंगे
मैं उनमें से नहीं बंधु! जो समझौतों की मार सहूँगा
अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा

तुम भटको तो वापस आना
मन में कोई बात न लाना
दरवाज़े पर जब पहुँचोगे तुम्हें द्वार पर खड़ा मिलूँगा
तब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा
अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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