गीत गुनगुनाने दो
सपने हैं शीशे से साफ़ करो
इनको
सपनों की ग़लती क्या माफ़ करो इनको
मन में कुछ आने दो कुछ मन से जाने दो
गीत गुनगुनाने दो!
मोहक हर दरपन था मोह गया मन को
आकर्षण बंधन का तोड़ गया तन को
सुख को तुम माने दो कुछ दुख में गाने दो
गीत गुनगुनाने दो!
मन को तो रोक लिया मिलने से उनको
भीतर के जग में अब रोकोगे किनको
सृष्टि है लुभाने दो दृश्य है रमाने दो
गीत गुनगुनाने दो!
दूर जा चुके हैं सब जाना था जिनको
अब किसे पुकारे हम आना है किनको
अब दिया बुझाने दो दर्द को सुलाने दो
गीत गुनगुनाने दो!
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