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अनुभूति में कृष्ण बिहारी की रचनाएँ -

गीतों में—
आवारा मन
कितने तूफ़ानों से
कुछ न कहूँगा
गीत गुनगुनाने दो
तुम आए तो
तुम साथ चलो
दिल हँसते हँसते रोता है
दूर न जाते
देवता मैं बन न पाया
प्रीत- नौ चरण
राह जिस पर मैं चलूँ
रुपहले गीत का जादू
वही कहानी
साथ तुम्हारे
स्मृति

संकलन में—
ज्योतिपर्व–    चाँदनी की चूनर ज़मीं पर है
         –  मत समझो पाती
जग का मेला– झरना

 

दिल हँसते-हँसते रोता है

ना जाने यह क्यों होता है!

जैसे-जैसे यह शाम ढले
मन स्मृतियों के साथ चले
कभी याद अंगारा बनती है
कभी लगे कि जैसे बर्फ़ गले,

यह अनुभव भी क्या अनुभव है
दिल हँसते-हँसते रोता है!

सुखमय यादें सपनीली-सी
कर जाती हैं आँखें गीली-सी
जब दुख की याद उभरती है
हर राह लगे पथरीली-सी,

यह बात सभी को मालूम है
पानेवाला ही खोता है!

सुख के पल आते-जाते हैं
खुशियों से मिलन कराते हैं
यह चक्र ही उल्टा-सीधा है
जो दुख भी हम सब पाते हैं,

जो भार कहीं दिखता ही नहीं
हर शख़्स उसे क्यों ढोता है!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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