कृष्ण बिहारी
२९ अगस्त १९५४ को
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की बांसगाँव तहसील (अब खजनी)
अंतर्गत ग्राम कुंडाभरथ में जन्म।
कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए.
सन १९६८-६९ से लेखन। पहली कहानी सन १९७१ में
प्रकाशित। तब से सैकड़ों रचनाएँ हिंदुस्तान के प्रमुख समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं
में प्रकाशित।
चर्चित पत्रकारिता : सच्ची प्रेम कहानियों पर
आधारित शृंखला "मेरी मोहब्बत दर्द ए जाम" १९८४ के दंगों पर "यह क्या हो गया
देखते-देखते", वेश्याओं के जीवन पर आधारित "घुँघरू टूट गए" और अंतरज़ातीय तथा
अंतर्राष्ट्रीय विवाहों पर परिचर्चाओं की शृंखला प्रकाशित। "कल के लिए" बहराइच,
उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होनेवाली पत्रिका में नौ वर्षों से सहयोग।
प्रकाशित कृतियाँ :
कहानी संग्रह : दो औरतें, पूरी हक़ीकत पूरा फ़साना, नातूर।
एकांकी नाटक : यह बहस जारी रहेगी, एक दिन ऐसा होगा, गांधी के देश में
नाटक : संगठन के टुकडे
कविता संग्रह : मेरे मुक्तक : मेरे गीत, मेरे गीत तुम्हारे हैं, मेरी लंबी
कविताएँ
उपन्यास : रेखा उर्फ़ नौलखिया, पथराई आँखों वाला यात्री, पारदर्शिया।
यात्रा वृतांत : सागर के इस पार से उस पार से
"दो औरतें" कहानी का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली
द्वारा श्री देवेंद्र राज अंकुर के निर्देशन में सन १९९६ में मंचन। अखबार और रेडियो की दुनिया से संबद्ध रहने के बाद
पिछले सत्रह वर्षों से अध्यापन।
कृष्ण बिहारी के १०१ गीत उनके जालघर "मेरे
गीत तुम्हारे हैं" पर पढ़े जा सकते हैं।
ई मेल-
krishnatbihari@yahoo.com
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