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अनुभूति में कृष्ण बिहारी की रचनाएँ -

गीतों में—
आवारा मन
कितने तूफ़ानों से
कुछ न कहूँगा
गीत गुनगुनाने दो
तुम आए तो
तुम साथ चलो
दिल हँसते हँसते रोता है
दूर न जाते
देवता मैं बन न पाया
प्रीत- नौ चरण
राह जिस पर मैं चलूँ
रुपहले गीत का जादू
वही कहानी
साथ तुम्हारे
स्मृति

संकलन में—
ज्योतिपर्व   –  चाँदनी की चूनर ज़मीं पर है
          –  मत समझो पाती
जग का मेला – झरना

 

दूर न जाते

मुझे अकेले पन में साथी
याद तुम्हारी कैसे आती
आँसू रहकर इन आँखों में अपना कैसे नीड़ बनाते?
यदि तुम मुझसे दूर न जाते!

तुम हो सूरज-चाँद ज़मीं पर
किसका क्या अधिकार किसी पर
मेरा मन रखने की ख़ातिर तुम जग को कैसे ठुकराते?
यदि तुम मुझसे दूर न जाते!

आँख आज भी इतनी नम है
जैसे अभी-अभी का गम है
ताज़ा-सा यह घाव न होता, मित्र तुम्हें हम गीत सुनाते!
यदि तुम मुझसे दूर न जाते!

पल-भर तुमने प्यार किया है
यही बहुत उपकार किया है
इस दौलत के आगे साथी किस दौलत को गले लगाते?

यदि तुम मुझसे दूर न जाते!

तुम आओ तो सेज सजाऊँ
तेरे संग भैरवी गाऊँ
यह
मिलने की चाह होती तो मरघट का साथ निभाते!
यदि तुम मुझसे दूर न जाते!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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