नई हैं हवाएँ
नई हैं हवाएँ, नया हो गया है
मेरा ज़ख़्म फिर से हरा हो गया है।
उड़ा ले गई घोंसले टहनियों से
हवाओं को देखो तो क्या हो गया है।
शरारों की सोहबत में दिल था
हमारा
जला तो बहुत पर खरा हो गया है।
न अब गोद से, न खिलौनों से मतलब
वो बच्चा भी आख़िर बड़ा हो गया है।
उफ़क़ से गिरा, खो गया रास्तों
में
मेरे चाँद क्या था, तू क्या हो गया है।
तेरे रूठने का कहर गोया कम था
ज़माना भी मुझसे ख़फ़ा हो गया है।
रगे-जाँ में तस्वीर मेरी छिपाकर
तेरा रंग भी साँवला हो गया है।
मैं इल्यास से पूछना चाहता हूँ
ज़हर कैसे आबे-बक़ा हो गया है।
वो तेरे लबों का सुरीला तराना
गए मौसमों की सदा हो गया है।
सदाक़त से अब मैं भी डरने लगा
हूँ
मेरा हौसला भी हवा हो गया है। |