जाने दिल में
जाने दिल में क्या डर है
उसकी जेब में खंजर है
बारिश बाहर-बाहर है
आग तो मेरे अंदर है
एक झरोखे के पीछे
यारो एक समंदर है
तनहा हूँ पर लगता है
मेरे साथ भी लश्कर है
तेरे साथी धन वाले
मेरे साथ कलंदर है
पूछ रही है फ़स्ले-गुल
कहाँ वो तेरा दिलबर है
है इक लम्बा-सा सहरा
उसके बाद समंदर है
नाप ज़रा गहराई भी
गर तू मुझसे बेहतर है
३१ अगस्त २००९