मुद्दतों बाद
मुद्दतों बाद उसको देखा है
हाल उसका भी मेरे जैसा है।
हैराँ-हैराँ-सी खोई-खोई-सी
किन खयालों में गुम ये दुनिया है।
गम मेरे ढल गए हैं ग़ज़लों में
उसके बारे में जब भी सोचा है।
यों तो चेहरे से कुछ नहीं छुपता
और चेहरा भी एक धोखा है।
कुछ सितारे हमें भी दे दाता
अपने घर में बहुत अँधेरा है।
गोया कोई दफीना है यह भी
दिल समंदर से काफी गहरा है।
दर्द के जुगनुओं चले आओ
आज फिर दिल मेरा अकेला है।
बदचलन हो गई हवाएँ भी
शहर में आजकल ये चर्चा है।
अपनी गर्दिश पे नाज़ करता हूँ
कमनसीबी भी रब का तोहफा है।
८ फरवरी २०१० |