हो अनजान
हो अनजान गम से, बशर कौन-सा है
गली कौन-सी है, वो घर कौन-सा है।
रहे उम्रभर हम तो यारों सफ़र
में
न पूछो हमारा नगर कौन-सा है।
जो कुर्बत का अहसास हो तो बताऊँ
सफ़र में मेरा हमसफ़र कौन-सा है।
गया तू तो मौसम ठहर-सा गया था
इधर तो वही है, उधर कौन-सा है।
कभी इक नज़र का, कभी दुनिया भर
का
न टूटा हो हम पर क़हर कौन-सा है।
न भर आएँ आँखें, ना दिल में हो
हलचल
वो फ़न कौन-सा है, हुनर कौन-सा है।
मेरी आँख में ख्वाब है आशियाँ
का
बताओ तो अच्छा शजर कौन-सा है। |