हम जितने मशहूर
हम जितने मशहूर हुए
खुद से उतने दूर हुए।
वो सब लोग हुए ग़ारत
जो यों ही मगरूर हुए।
जितने उसके साथ कटे
वो मौसम मखमूर हुए।
हवा चली है कुछ ऐसी
सब चेहरे बेनूर हुए।
हिज्र में फिर बादल बरसे
फिर गहरे नासूर हुए।
दिल भी दो और दर्द सहो
यह अच्छे दस्तूर हुए।
नज़र उधर न कर साक़ी
वो सारे मामूर हुए।
सब सपने थे शीशे के
आखिर चकनाचूर हुए।
जो अपनी धुन में डूबे
मीरा, ग़ालिब, सूर हुए।
८ फरवरी २०१० |