गहन गंभीर
गहन गंभीर मसलों को बड़ा उथला बना
डाला,
हमें इस तंत्र ने इक काठ का पुतला बना डाला।
बनाते वक्त इसकी रूपरेखा साफ़ सुथरी
थी,
समय की गर्द ने तसवीर को धुँधला बना डाला।
उतारा था यहाँ भागीरथी को मोक्ष
देने को,
कि गंदे हाथ धो-धो कर उसे गंदला बना डाला।
नियम की आड़ लेकर झोपड़ी तो तोड़
डाली है,
प्रगति के नाम पर लेकिन वहाँ बंगला बना डाला।
अमीरी तो यहाँ पर हो रही है रात-दिन
दूनी,
गरीबी को मसल कर और भी कंगला बना डाला।
कहीं डूबी अभावों में कहीं उलझी
तनावों में,
सहज-सी ज़िन्दगी को वक्त ने पगला बना डाला।
हृदय की पीर 'भारद्वाज' जब जब भी
पिघलती है,
कभी मकता बना डाला कभी मतला बना डाला।
२५ मई २००९ |