अनुभूति में
अमित कुमार सिंह की रचनाएँ—
नई कविताएँ-
ट्रैफ़िक जाम
चेहरे पर
चेहरा
ज़िंदगी ऐसे जियो
धूम्रपान - एक कठिन काम
नारी समानता - एक परिवर्तन
नेता और नरक का द्वार
प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार
भूत
हास्य
व्यंग्य में-
इंतज़ार
कौन महान
कविताओं में-
अंधकार
कौन है बूढ़ा
दीप प्रकाश
नव वर्ष का संदेश
नादान मनुष्य
परदेशी सवेरा
फ़र्ज़ तुम्हारा
भूख
मशहूर
माँ
माटी की गंध
मेरे देश के नौजवानों
यमराज का इस्तीफ़ा
रोज़ हमेशा खुश रहो
विवाह |
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ज़िंदगी ऐसे जियो
चंचल, लहराती हुई
हवा की तरह स्वच्छंद
बच्चों की तरह मासूम,
कोयल-सी गुनगुनाती
दिल को छू जाने वाली,
हँसती खिलखिलाती
सदा मुसकुराती,
ज़िंदा दिल, दोस्तों की दोस्त
कहते हैं जिसे हम 'ज़िंदगी',
मित्र 'अमित' जियो तो बस
ज़िंदगी की तरह खुल के जियो,
ग़म के सायों को परे कर
हँसते खिलखिलाते हुए जियो ।।
9 अगस्त 2007
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