अनुभूति में
अमित कुमार सिंह की रचनाएँ—
नई कविताएँ-
ट्रैफ़िक जाम
चेहरे पर
चेहरा
ज़िंदगी ऐसे जियो
धूम्रपान - एक कठिन काम
नारी समानता - एक परिवर्तन
नेता और नरक का द्वार
प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार
भूत
हास्य
व्यंग्य में-
इंतज़ार
कौन महान
कविताओं में-
अंधकार
कौन है बूढ़ा
दीप प्रकाश
नव वर्ष का संदेश
नादान मनुष्य
परदेशी सवेरा
फ़र्ज़ तुम्हारा
भूख
मशहूर
माँ
माटी की गंध
मेरे देश के नौजवानों
यमराज का इस्तीफ़ा
रोज़ हमेशा खुश रहो
विवाह |
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मशहूर
कठिन है रास्ता ये
मंज़िल है दूर
घबराना नहीं
ऐ राही,
नहीं है तू
मजबूर!
प्रयत्न करता जा
बस तू
करता ही जा,
लेकिन इसमें
लगन हो ज़रूर।
कामयाबी की
बुलंदी तू
छुएगा,
हो जाएगा
इस तरह
ऐ दोस्त!
तू भी एक दिन
मशहूर!
24 जनवरी 2007
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