अनुभूति में
अमित कुमार सिंह की रचनाएँ—
नई कविताएँ-
ट्रैफ़िक जाम
चेहरे पर
चेहरा
ज़िंदगी ऐसे जियो
धूम्रपान - एक कठिन काम
नारी समानता - एक परिवर्तन
नेता और नरक का द्वार
प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार
भूत
हास्य
व्यंग्य में-
इंतज़ार
कौन महान
कविताओं में-
अंधकार
कौन है बूढ़ा
दीप प्रकाश
नव वर्ष का संदेश
नादान मनुष्य
परदेशी सवेरा
फ़र्ज़ तुम्हारा
भूख
मशहूर
माँ
माटी की गंध
मेरे देश के नौजवानों
यमराज का इस्तीफ़ा
रोज़ हमेशा खुश रहो
विवाह |
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मां
दुनिया का सबसे
प्यारा शब्द
जिसे सुनकर
सिर श्रद्धा से झुक
जाता है,
जिसकी मिठास
मिश्री से भी मीठी है
जिसकी गहराई
समुंदर की तरह,
जो धरती जैसा,
विशाल हृदय रखती है,
जिसकी नहीं है
दुनिया में कोई मिसाल
'मां' तू है बेमिसाल।
धरती पर हमें चलना।
सिखलाती
ज़िंदगी से लड़ना
बतलाती,
खुद विष पीकर
अमृत बांटने वाली
मां तुम शक्ति पुंज हो
ममता का अनूठा
कुंज हो।
25 जून
2006 |