अनुभूति में
अमित कुमार सिंह की रचनाएँ—
नई कविताएँ-
ट्रैफ़िक जाम
चेहरे पर
चेहरा
ज़िंदगी ऐसे जियो
धूम्रपान - एक कठिन काम
नारी समानता - एक परिवर्तन
नेता और नरक का द्वार
प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार
भूत
हास्य
व्यंग्य में-
इंतज़ार
कौन महान
कविताओं में-
अंधकार
कौन है बूढ़ा
दीप प्रकाश
नव वर्ष का संदेश
नादान मनुष्य
परदेशी सवेरा
फ़र्ज़ तुम्हारा
भूख
मशहूर
माँ
माटी की गंध
मेरे देश के नौजवानों
यमराज का इस्तीफ़ा
रोज़ हमेशा खुश रहो
विवाह |
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नव वर्ष का संदेश
नए वर्ष का सूरज चमका
लेकर आया नया सवेरा।
पेड़ पौधों ने भी अपनी
बाँह पसारी
करने के लिए
नव वर्ष का अभिनंदन।
बह रहा है पवन भी
देखो लेकर एक नई उमंग।
शांत समंदर भी मचल उठा है
बन कर एक तरंग।
पशु पक्षियों ने भी घोला
वातावरण में मधुर गीत-संगीत।
फूलों ने खुशबू बिखेर
फैलाया चहुँ ओर आनंद ही आनंद।
फैला अंतर्मन में
एक दिव्य ज्योति,
घुला जीवन में एक
मधुर रस,
नए साल के स्वागत में
तुम भी हे मानव!
लग जाओ अब बस।
मिटा हिंसा को
फैला कर मानवता का संदेश,
प्रकट करो तुम भी
अपनी 'अभिव्यक्ति',
अपना कर नव वर्ष का
ये पावन उद्देश्य।।
24 जनवरी 2007
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