अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अमित कुमार सिंह की रचनाएँ—

नई कविताएँ-
ट्रैफ़िक जाम
चेहरे पर चेहरा
ज़िंदगी ऐसे जियो
धूम्रपान - एक कठिन काम
नारी समानता - एक परिवर्तन
नेता और नरक का द्वार
प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार
भूत

हास्य व्यंग्य में-
इंतज़ार
कौन महान

कविताओं में-
अंधकार
कौन है बूढ़ा
दीप प्रकाश‌
नव वर्ष का संदेश
नादान मनुष्य
परदेशी सवेरा
फ़र्ज़ तुम्हारा
भूख
मशहूर
माँ
माटी की गंध‌
मेरे देश के नौजवानों
यमराज का इस्तीफ़ा
रोज़‌ हमेशा खुश रहो
विवाह

 

प्रकृति-प्रदूषण-कलाकार

गीतकार, चित्रकार, संगीतकार और अदाकार,
को देना पुरस्कार और सम्मान,
प्रकृति का मुख गंदा कर, उसे प्रदूषण का उपहार,
फाड़कर कपड़े उसके बदन के,
कर ओज़ोन परत में छेद,
इस तरह करना प्रकृति का अपमान,
क्या कर रहें हैं हम नेक ये काम?
प्रकृति भी है एक कुशल कलाकार,
अपने कैनवस पर बनाएँ हैं इसने
पहाड़, नदी, झरने,
जंगल और जानवरों के अनेकों प्रकार।
अदाकारी में भी प्रकृति का नही है कोई जोड़,
क्रोध को प्रकट करती है ये जब,
फूटता है एक ज्वालामुखी,
तब धरती का सीना फोड़।
ग़मगीन होती है ये जब,
आँसुओं से आ जाता है
एक सैलाब तब।
खुशहाली में लाती है ये बसंत,
खिल जाते हैं चहुँ ओर फूल ही फूल।
खिलखिला के जो ये हँसे,
बिखर जाए मादक खुशबू
और पवन चले झूम-झूम।
हृदय जब इसका टूटे, पी जाए ये
अपने सारे गम,
पड़ जाए धरती में दरारें,
कहलाए ये अकाल,
सूख जाएँ सब तलैया-ताल।
अपने आँचल पर पड़ती मानव की,
लोलुपता भरी दृष्टि और रासायनिक खाद को
देख ये सिहर जाती है,
और इसके भूकंपीय कंपन से,
धरती दहल जाती है।
बन एक संगीतकार, कल-कल करते नदी,
झरनों का संगीत ये सँजोती है,
बाँध बनने पर अपने स्वरों को खो कर,
ये बहुत रोती है।

दोस्तों इस तरह कर प्रदूषित,
जल, हवा, धरती और आकाश,
कर रहें हैं हम प्रकृति के इस सुंदर चित्र को
बदरंग और धूमिल,
रफ़्तार अगर यही रही तो फिर,
कल रह न जाएगी ये दुनिया,
देखने के काबिल।

9 अगस्त 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter