अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शशिकान्त गीते की रचनाएँ-

हाइकु में-
सूर्य गरबा

ई रचनाओं में-
बसंत
बेटियाँ
माँ
मृत्यु
शब्द-प्रेम

दोहों में-
असली मंजिल दूर है

गीतों में-
आसमान गुमसुम रहता है
इक राजा था, इक रानी थी
एक टिमटिम लौ
एक टुकड़ा धूप
कम्प्यूटर रोबोट
ताँगे वाला घोड़ा
दूर अभी मंजिल है
फूलों की घाटी मे
भैंस सुनती बाँसुरी
मन माँगे ठौर
महानगर
मुए केंचुए
रोटी से ऐटम-बम प्यारा
रूप रस गंधों वाले दिन
स्लेट लिखे शब्दों के
समय को नाथ!

संकलन में-
चंपा- चंपा कुछ हाइकु

गंगा- धार समय की
ममतामयी- अम्मा चली गई
         माँ के सपने
रक्षाबंधन- राखी धागा सूत का
वर्षा मंगल- बूँदों ने क्या छुआ देह को
हरसिंगार- पारिजात के फूल
         हाइकु
होली है- मस्ती के फाग

 

सूर्य गरबा


सूर्य गरबा
नाचती है धरती
चिर उत्सव

चंद्र-अँगूठी
सितारों जड़ी साड़ी
रात रानी- सी

फूल मालाएँ
तेजधार छुरियाँ
काटती गला.

दूब के आँसू
धूप के रूमाल से
सूरज पोंछे

लौटे गोधन
अपने खूँटे पर
साँझ की वेला

१ दिसंबर २०२२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter