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असली मंजिल दूर है

गीतों में-
आसमान गुमसुम रहता है
इक राजा था, इक रानी थी
एक टिमटिम लौ
एक टुकड़ा धूप
कम्प्यूटर रोबोट
ताँगे वाला घोड़ा
दूर अभी मंजिल है
फूलों की घाटी मे
भैंस सुनती बाँसुरी
मन माँगे ठौर
महानगर
मुए केंचुए
रोटी से ऐटम-बम प्यारा
रूप रस गंधों वाले दिन
स्लेट लिखे शब्दों के
समय को नाथ!

संकलन में-
चंपा- चंपा कुछ हाइकु
गंगा- धार समय की
ममतामयी- अम्मा चली गई
         माँ के सपने
रक्षाबंधन- राखी धागा सूत का
वर्षा मंगल- बूँदों ने क्या छुआ देह को
हरसिंगार- पारिजात के फूल
         हाइकु
होली है- मस्ती के फाग

 

बेटिया

बिटिया ने कहा-
चलो! सब मिलकर
बनाते हैं एक चित्र

मैने बनाया पहाड़़
पहाड़ से झाँकता सूरज

पत्नी ने बनाई नदी
नदी किनारे एक घर
घर के सामने पेड़़

बेटे ने बनाया आसमान
आसमान में विमान

बिटिया ने बनाया
घर के इर्द- गिर्द बगीचा
बगीचे मे फूल
फूलों पर तितलियाँ
पेड़ पर झूला
नदी में नाव
आसमान में पाखी
और फिर
भर दिये सब में रंग

ऐसे ही
ठीक ऐसे ही तो
सँवार कर
जीवन में भी
रंग भर देती हैं बेटियाँ

१ मई २०२२
 

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