चम्पक बन
सौन्दर्य सुवासित
घर आँगन
-ज्योतिर्मयी पन्त
०००००हंसती चम्पा
कहती है सबसे
भरो महक
-अनिल कुमार मिश्र
०००००
रात की स्याही
दूधिया जुगनू से
चंपा के फूल
चम्पई फूल
ऋतु के द्वार पर
रुका सावन
चंपा की गंध
रातरानी के संग
मीठी सी नींद
-डॉ सरस्वती माथुर
०००००
रूप रंगीला
प्रकृति का इत्र है
चम्पा का फूल
-मीनाक्षी धन्वंतरि
००००० पहली बार
बेटे ने पुकारा- माँ!
फूली रे चंपा
-शशिकांत गीते |
लालटेन सी
चंपा खिली मन
सन्देश सुन
चंपा बिछौने
तरुवर पहने
सौरभ छौने .
-मंजुल भटनागर
०००००
हँसती रही
ताप सहकर भी
मोहिनी चम्पा
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
०००००चम्पा महका
मद से भर गई
हवा की झोली
चम्पा बाँटता
गंध के अलगोझे
बजाती हवा
-डा० जगदीश व्योम
१ जुलाई २०१३
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