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अनुभूति में शशिकान्त गीते की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
बसंत
बेटियाँ
माँ
मृत्यु
शब्द-प्रेम

दोहों में-
असली मंजिल दूर है

गीतों में-
आसमान गुमसुम रहता है
इक राजा था, इक रानी थी
एक टिमटिम लौ
एक टुकड़ा धूप
कम्प्यूटर रोबोट
ताँगे वाला घोड़ा
दूर अभी मंजिल है
फूलों की घाटी मे
भैंस सुनती बाँसुरी
मन माँगे ठौर
महानगर
मुए केंचुए
रोटी से ऐटम-बम प्यारा
रूप रस गंधों वाले दिन
स्लेट लिखे शब्दों के
समय को नाथ!

संकलन में-
चंपा- चंपा कुछ हाइकु
गंगा- धार समय की
ममतामयी- अम्मा चली गई
         माँ के सपने
रक्षाबंधन- राखी धागा सूत का
वर्षा मंगल- बूँदों ने क्या छुआ देह को
हरसिंगार- पारिजात के फूल
         हाइकु
होली है- मस्ती के फाग

 

शब्द- प्रेम

बेशक
शब्दों से करो प्रेम
अपने बच्चों की तरह
मगर इतना भी नहीं
कि हो जाएं उच्छृंखल
उभार दें
कविता की देह पर गूमड़
या खोने लगे अपने ही
अंतर्निहित अर्थ
कर बैठें अनर्थ।

१ मई २०२२
 

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