स्लेट लिखें
शब्दों के
स्लेट लिखे शब्दों को
गुमसुम क्यों बैठे हो
मन कोरी लाग लिये
बाँसों के वन गाते
अंतर में आग लिये
अंतर में आग, चपल
दृ्ष्टि हो काग-सी
जिन्दगी रहे न महज
सागर के झाग- सी
संयम हो बंध नहीं
दामन में दाग लिये
मौसम कब रोक सका
कोयल का कूकना
ऋतुओं की सीख नहीं
अपने से चूकना
नदियाँ भी राह तकें
मधुर-मधुर राग लिये
उतनी ही सृष्टि नहीं
जितनी हम सोच रहे
स्लेट लिखे शब्दों को
पोते से पोंछ रहे
हल करते जीवन, ऋण,
जोड़, गुणा, भाग लिये
९ मार्च २०१५