अनुभूति में
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सीढ़ियाँ जहाँ
ख़त्म होती है सीढ़ियाँ
जहाँ ख़त्म होती है
वहाँ अंधेरा ही अंधेरा है
रौशनी के लिए मैं कौन-सा दरवाज़ा खटखटाऊँ?
छत से उतर आया,
के गली में कभी किसी से सामना हो जाए
चंद कदम चल के देखा तो गली बंद हो गई
लौट कर फिर घर की ओर मुड़ा
फिर अंधेरे में खुद को टटोलने लगा
फिर सीढ़ियाँ चढ़ने का इरादा होने लगा
लेकिन इस बार सीढ़ियाँ बहुत ऊँची थीं
छत बहुत दूर हो गई थी इस बीच
दिल के अंदर अंधेरा बड़ी गहराई से डूब चुका था
नाकाम होकर पहली सीढ़ी पे थम गया
और महवे-इंतज़ार हो गया
शफ़क के लिए
कब आए कब आए वो
मुझे अंदर से फरोजाँ करने के लिए
मेरी बेपनाह बेकली दूर करने के लिए
३१ अगस्त २००९
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