अनुभूति में
डॉ. सुरेन्द्र भूटानी की रचनाएँ
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विरोध
शख्सियत
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नई दोस्ती
फ़नकार का क्या हुस्ने-जाँ हो सकता
है
इक मुसलसल-सी चुभन
दिल में लगी रहती है
अदीब की मौत के बाद
इक नई शुरुआत हो जाती है दोस्ती की
अब उसके जज़्बात टकराते नहीं मुझसे
अब उसके ख्यालात रुलाते नहीं मुझे
अब उसका फ़न अजीम है
अब उसकी तख्लीकात शरीके-सफ़र है मेरी
इक नया मौका है उसको जानने का
इक नई सीरत उभरती है उसकी
तो सीरत दिलफ़रेब भी है रश्के जहाँ की
जहाँ तास्सुरात को परवाज़ मिलती है
बेपरवाह हो कर आस्मानों की छूने की
इक नया सरूर पैदा होता रहता है उसके हरूफ़ से
वो अब तो हमप्याला नहीं है
लेकिन कभी हमख्याल तो था
यही बहुत है उसकी कद्र बनाए रखने को
वो अब नया दोस्त है
जो कभी दुश्मन बन नहीं सकता
७ अप्रैल २००८
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