ग़फलत
सवाल इक सलीव ने किया
इस दौरे-जहाँ की मुसलसल
नाफ़र्मानी का क्या इलाज है?
सवाल भी सलीब पे लटक गया
कोई दानिशमंद जवाब देता नहीं
ख़ामोशी भी इक अच्छा दस्तूर है
सवालो-सलीब की ये कश्मकश
हर कोई अपनी बात मनवाने को
या अपना सच बताने को बेज़ार है
सलीब ने कुछ सवाल सुने थे
चुपके से कुछ जवाब बुने थे
मुआ फिर भी कुछ न निकला
ये दारो-रसन की लंबी दास्ताँ
शायरे-अम्न की तरीक़ते-बेअमाँ
कितनी मुख्तलिफ़ है हक़ीक़त से
कितनी मिलती है ग़फलत से
तारीख गवाह है।
२४ मार्च २००६
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