इंतज़ार
आसमाँ से इक बीज गिरा
चंद बरसों में इक दरख़्त बना
आसमाँ से इक आँसू टपका
इक परिंदे ने उसे रास्ते में ही लपक लिया
और नीलगूँ आसमाँ की तारीफ़ में
नग़मासरा हो गया
नग़मासराई ही कूव्वते-परवाज़ है
इक नई फ़िज़ा ख़ुदाई से वाबस्ता
होने लगी
इक नई दुनिया अपने सितारों को ढूँढ़ने लगी
इक नया समंदर अपने अहसास में रवाँ होने लगा
मौज-दर-मौज हंगामा-ए-कैफ़ो-मस्ती है
ज़िंदगी को रौशनी, मौसीक़ी से मिली
तरन्नुम का इनक़लाब माहौल पे छाने लगा
दिल अपना हवाले देने पे मजबूर हो गया
दिल ने कहा-
'मुझसे सवाल न करो
महज़ मेरे गीत सुनो
हर गीत किसी-न-किसी सवाल का जवाब है
उस आँसू का कितना हसीन सवाब है
आँसुओं के नसीब सँवरने में इक
उम्र लगती है
यही हमारा-तुम्हारा इंतज़ार है
३१ अगस्त २००९
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