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महेशचंद्र द्विवेदी
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भीमबैठका के
भित्ति-चित्र
भीमबैठका की गुफाओं की भित्तियों में
चित्रित है आदिकाल का इतिहास
प्रारंभिक मानव के
सरल हाथों ने उन्केरा है इनमे
मानव एवं प्रकृति का सहज सहवास
जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी
सभी थे प्रकृति के मित्र
पत्थरों पर खिंची हैं
आड़ी-तिरछी सहज सी रेखाएँ
आदिम मनुष्य का सरल प्रयत्न हैं
पर मिटा नहीं सकीं हैं इनको
अनगिनत बरखायें
किस बूटी के रंग लिए
किस तूलिका से खींचे थे चित्र
होता है रोमांच मुझे यह सोचकर
क्या रहते थे इन्ही में
वस्त्रहीन पुरुष व ललनाएँ
कैसी थी संस्कृति वह
कैसी थीं मानव की लालसाएँ
अतीत के जीवन के दर्पण हैं
भित्ति पर खिंचे ये चित्र
सुदूर पर्वतों के वन का
यह निर्जन एकांत
मन को करता है
कभी उद्विग्न, कभी शांत
मन सोचता है संभवतः मैंने ही कभी
खींचे हों ये आड़े-तिरछे चित्र
मैं देख रहा हूँ भीमबैठका की
गुफाओं के भित्ति-चित्र
२६ अक्तूबर २००९ |