अनुभूति में
महेशचंद्र द्विवेदी
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एंटी वर्ल्ड
ऐंटी वर्ल्ड इस संसार की विपरीत छाया है
प्रकृति ने ब्रह्माण्ड के पार उल्टा बनाया है
दोनों वर्ल्ड के बीच है एक ऐसा कठोर पट
जिसके पार आज तक न कोई जा पाया है
वैज्ञानिकों ने बड़ी खोज के बाद निकाला है
विज्ञान से अधिक इसमें दर्शन का मसाला है
प्रत्यक्ष में ऐंटी वर्ल्ड लगता है कपोल कल्पित
ज्यूँ आज का महानतम वैज्ञानिक घोटाला है
वहाँ संसार के सभी नियम उलट जाते हैं
मंडे को चलकर गत सन्डे को आ जाते हैं
द्रुत गति से चलने वाले पहुँचते हैं देर से
शीर्षासन में खड़े लोग सीधे नज़र आते हैं
भीमकाय दानव फूल से हलके होते हैं
कोमलान्गियों का भार ट्रैक्टर ढोते हैं
आकाश में उड़ें तो पाताल पहुच जायेंगे
और कुँए के मेढक असमान में सोते हैं
हमने भी इस देश को ऐंटी-वर्ल्ड बनाया है
डिमेरित की पूछ और मेरिट का सफाया है
जिस देश में जन्मे थे गाँधी, बुद्ध और राम
आज असत्य स्वार्थ और कपट का साया है
२६ अक्तूबर २००९ |