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तोपों और बन्दूकों
से
तोपों
और बन्दूकों से
लेता है, देता है, आदमी
सलामी अब,
मासूम
फूलों की पंखुड़ियाँ
चिंदियाँ चिंदियाँ कर
बिखर जाती हैं, सड़कों पर
देवता खामोश हैं
विनाश की सभी संभावनायें
बिल्कुल मशीन की तरह
सिर झुकाये
पर सीना ताने
एक के बाद एक
गुज़र जाती है सामने से
एक दहशत
वायुयानों की गर्जनाओं के साथ
ज़मीन से आकाश तक
हुंकारती हुई फैलती चली जाती है।
पर,
तभी आता है
नाचते गाते
भोले लोगों और बच्चों का हुजूम
मन थिरक उठता है
दिल के किसी कोने में
एक राहत-सी उग आती है
चलो
अब भी ज़िन्दा है ज़िन्दगी। |