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इन्सान, भगवान और
दुनिया इन्सान,
भगवान,
और, दुनिया
मुश्किल है कितना
एक साथ निगाह रख पाना, इन तीनों पर,
लेकिन,
आसान है संभवत:
बहती धार में खुद को छोड़ देना
हो सकता है कि मंज़िल मिल जाए
यह भी संभव है
कि उफनती लहरें
तुम्हें ही किनारा समझकर
काट फेंके ज़मीन से तुम्हारे
सारे रिश्ते
बहा ले जाएँ तुम्हारे पूरे अस्तित्व को ही
लेकिन,
मत भूलो
स्थिरता मौत है
और बहना,
जीवन।
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