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अनुभूति में शंभु शरण मंडल की रचनाएँ— 

नये गीतों में-
तू मतलब का मूसल रे
दरोगा जी
बालकनी में
बेहतर दिन
सजन तुम आ जाओ

गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
ऐसे भी कुछ पल
चलो बचाएँ धरती अपनी
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
नौबजिया फूल
बाल मजदूर
यह तो देखिए
रोटी की चाह
वादों की मुरली

हे कुर्सी महरानी

संकलन में-
नया साल- एक नया पल आए
        - हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें बाहों में
दीप धरो- ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल- तुम्हीं ने
होली है- फागुन की अगुआई में
हरसिंगार- हरसे हरसिंगार सखी

 

सजन तुम आ जाओ

सुनने को तरसे हैं
तेरे बोल
सजन तुम आ जाओ

तेरी यादों की रिमझिम
जब हमको छूने आए है
मन तो हरसे है लेकिन
ये तन में आग लगाए है
होवे है दिल में अनगिन
भूडोल सजन तुम आ जाओ

देख सकूँ न तेरे सिवा कुछ
दिन चाहे अधराती में
तू ही तू झलके है हमरा
दिल के दियरा बाती में
अब करना मत कोई
टालमटोल सजन तुम आ जाओ

नस नस में उमड़े है जैसे
नदिया सावन-भादों की
इसमें डूबे उतराये है
नाव तुम्हारे वादों की
रह रह कर खोले है सारे
पोल सजन तुम आ जाओ

पोर पोर में पीर जगाए
हरपल पागल पुरवाई
लहकाए है जियरा कितना
तू क्या जाने हरजाई
पिहरा बोले है बरछी-सी
बोल सजन तुम आ जाओ

१ अक्तूबर २०१५

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