अनुभूति में
शंभु शरण मंडल की रचनाएँ—
नये गीतों में-
ऐसे भी कुछ पल
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
नौबजिया फूल
रोटी की चाह
गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
चलो बचाएँ धरती अपनी
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
बाल मजदूर
यह तो देखिए
वादों की मुरली
हे कुर्सी महरानी
संकलन में-
नया साल-
एक नया पल आए
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हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें
बाहों में
दीप धरो-
ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल-
तुम्हीं ने
होली है-
फागुन की अगुआई में
हरसिंगार-
हरसे हरसिंगार सखी
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यह तो देखिए
हो गई है सोच
दहशतगर्द यह तो देखिए
जिंदगी है मौत की
हमदर्द यह तो देखिए
रहनुमाई रासलीला में
यहाँ मशगूल है,
ये भलाई भी करेगी
मानना ये भूल है,
चापलूसी फल रही
बेपर्द यह तो देखिए।
फर्क हम कैसे करें
अब घर, शहर, सुनसान में,
लुट रही है, राखियाँ
हर खेत हर खलिहान में,
खून सबका हो गया है
सर्द यह तो देखिए।
चाँद से आगे गए
नजदीकियों की खोज में,
फासले बढते रहे
खुदगर्जियों के बोझ में,
बाँटता है कौन किसका
दर्द यह तो देखिए।
३१ मई २०१० |