अनुभूति में
शंभु शरण मंडल की रचनाएँ—
नये गीतों में-
ऐसे भी कुछ पल
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
नौबजिया फूल
रोटी की चाह
गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
चलो बचाएँ धरती अपनी
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
बाल मजदूर
यह तो देखिए
वादों की मुरली
हे कुर्सी महरानी
संकलन में-
नया साल-
एक नया पल आए
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हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें
बाहों में
दीप धरो-
ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल-
तुम्हीं ने
होली है-
फागुन की अगुआई में
हरसिंगार-
हरसे हरसिंगार सखी
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एक सुबह फिर आई
मंगल सी मुस्कानोंवाली
एक सुबह फिर आई!
ऑन लाइन चौपालें होंगी
खेती चाँद सितारों पर,
मंगल की जब सैर करेंगे
बैठ के देशी कारों पर,
जल जाएँगे दुनियावाले
देख मेरी अँगड़ाई!
स्लेट, किताबें या बस्तों का
बोझ नहीं रह जाएगा,
टैबलेट पर बच्चा सारी
दुनिया को पढ़ जाएगा,
जब चाहेगा पास मिलेंगे
उसके बाबा दाई!
किलिक किलिक से साफ सफाई
लंच, डिनर बन जाएगा,
और किलिक से दिनभर का
हर बोझ खतम हो जाएगा,
फुर्सत से फिर गले मिलेगी
रोज ननद भौजाई!
अंतरिक्ष में ईद, दीवाली
होली खूब मनाएँगे,
धरती माँ को और वहीं
हम पिकनिक पर ले जाएँगे,
चाँद पे अबकी खाएँगे हम
तिलकुट, चूरा, लाई!५
मई २०१४ |