अनुभूति में
शंभु शरण मंडल की रचनाएँ—
नये गीतों में-
ऐसे भी कुछ पल
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
नौबजिया फूल
रोटी की चाह
गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
चलो बचाएँ धरती अपनी
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
बाल मजदूर
यह तो देखिए
वादों की मुरली
हे कुर्सी महरानी
संकलन में-
नया साल-
एक नया पल आए
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हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें
बाहों में
दीप धरो-
ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल-
तुम्हीं ने
होली है-
फागुन की अगुआई में
हरसिंगार-
हरसे हरसिंगार सखी
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तेरी पाती मिली
तेरी पाती मिली मानो तू ही मिले,
सपने बिखरे जो कल के संवरने लगे,
देर से ही सही तू ने ली है खबर,
मैं भी हूँ दिल में तेरे यही जानकर,
मन में जागी मिलन की अनूठी लहर,
फूल खिलके बदन के महकने लगे।
बाजे बिछुआ सजन, झूमे धरती गगन,
आया मौसम सुहाना भी इतना मगन,
देके मीठी चुभन बहका पुरवा पवन,
हँस के आँचल को तन से उड़ाने लगे।
मीठे सपनों की बगिया महकने लगी,
खिलके अल्हड़ उमरिया बहकने लगी,
तेरी यादों में ऐसे सिमटने लगी,
जैसे सागर में दरिया समाने लगे।
३१ मई २०१० |