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अनुभूति में शंभु शरण मंडल की रचनाएँ— 

नये गीतों में-
ऐसे भी कुछ पल
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
नौबजिया फूल
रोटी की चाह

गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
चलो बचाएँ धरती अपनी
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
बाल मजदूर
यह तो देखिए
वादों की मुरली

हे कुर्सी महरानी

संकलन में-
नया साल- एक नया पल आए
        - हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें बाहों में
दीप धरो- ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल- तुम्हीं ने
होली है- फागुन की अगुआई में
हरसिंगार- हरसे हरसिंगार सखी

 

झूठी झूठी हरियाली

झूठी झूठी हरियाली
झूठी बरसात शहरिया में

जल,वायु है कैद यहाँ पर
कैदी हर एहसास यहाँ
इक रोटी की खातिर बुधना
काट रहा वनवास यहाँ
सोच रहा कब लौटके जइबे
आपन गाँव जबरिया में

मेकअप वाली मुस्काने हैं
गालीवाले गीत यहाँ
सुखदुख साथ निभानेवाले
लुप्त हुए मनमीत यहाँ
टूट रहा हरबार भरोसा
जाई कौन दुअरिया में

मानवता की बाली उजड़ी
लोभ कपट के दलदल में
संबंधों के मानिक लुट गए
खुदगर्जी के जंगल में
सिमट गया है फर्ज का सूरज
ओछी एक कोठरिया में

१ दिसंबर २०१४

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