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अनुभूति में शंभु शरण मंडल की रचनाएँ— 

नये गीतों में-
ऐसे भी कुछ पल
ज्योति की खुशी
झूठी झूठी हरियाली
नौबजिया फूल
रोटी की चाह

गीतों में-
अपनी डफली अपने राग
एक सुबह फिर आई
चलो बचाएँ धरती अपनी
डोर वतन की हाथ में जिसके
डोलपाती
तेरी पाती मिली
बाल मजदूर
यह तो देखिए
वादों की मुरली

हे कुर्सी महरानी

संकलन में-
नया साल- एक नया पल आए
        - हो मंगलमय यह वर्ष नया
फागुन- आझूलें बाहों में
दीप धरो- ये कैसी उजियारी है
नयनन में नंदलाल- तुम्हीं ने
होली है- फागुन की अगुआई में
हरसिंगार- हरसे हरसिंगार सखी

 

नौबजिया फूल

खिल जाए फिर से दुअरे पर
ठीक सुबह नौबजिया फूल

एक हाथ में बोरी बस्ता
दूजे हाथ चबेना हो
उछल कूदकर मकतब जाती
अपनी बानर सेना हो

रोज समय से बिन देरी के
पहुँचे हम अपने इस्कूल

बात बात में अड़ना पल में
लड़ना और झगड़ना हो
इक दूजे की खातिर फिरभी
हरदम जीना मरना हो

पलक झपकते मिट जाए
दिल से द्वेष कलह के शूल

शाम को जब भी वापस आए
बोझ रहे ना कोई हम पर
गुल्ली डंडा और कबड्डी
जो चाहें हम खेलें जमकर

परियोंवाली सुनें कहानी
दादी की बाहों में झूल

होली क्रिसमस या बैसाखी
चाहे ईद दिवाली हो
हर मौके पर जश्न मनाती
हमजोली मतवाली हो

जम ना पाए दिल पर उसके
कोई जात धरम के धूल

१ दिसंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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